धाकड़ माहेश्वरी
का इतिहास
माहेश्वरीओ की उत्तपत्ति के जो भी तथ्य उपलब्ध हे वे श्री शिवकरण जी दरक द्वारा लिखित इतिहास कल्पद्रुम महेश्वरी कुल भूषण नमक ग्रन्थ से उद्धृत किये गए हे l वर्तमान में महेश्वरी समाज इसी को प्रमाणिक मानता हे l
किवदंती हे की आज से लगभग 2500-2600 वर्ष पूर्व 72 खापो के माहेश्वरी मारवाड़ (डीडवाना) में निवास करते थे l अपने धर्माचरण में रहते हुए ईमानदारी पूर्वक व्यवसाय करते थे एवं सुखी जीवन बिता रहे थे l किन्तु तत्कालीन रजा जो अधर्मी था किसी कारण महेश्वरी समाज से कुपित हो गया एवं समाज के व्यक्तिओ को कई प्रकार से यातनाये देने लगा तथा व्यवसाय एवं धर्म में बाधाये डालने लगा l जब अत्त्याचार बड़ गया तब समस्त माहेश्वरियो ने दुखी मन से सर्वसम्मति से उस नगर को छोड़ अन्य स्थान पर बसने का प्रस्ताव पारित किया l
अब इन्ही 72 खापो में से 20 खाप के माहेश्वरी परिवार अपना धनधान्य से पूरित गृह त्याग कर धकगड़ (गुजरात) में जाकर बस गए l वहा का राजा दयालु प्रजापालक और व्यापारियों के प्रति सम्मान रखने वाला था l इन्ही गुणों से प्रभावित हो कर और 12 खापो के महेश्वरी भी वहा आकार बस गए l
इस प्रकार 32 खापो के माहेश्वरी धकगड़ (गुजरात) में बस गए और व्यापार करने लगे l
ईमानदारी की निति पर चलते हुए इन्हें अपार सम्रद्धि प्राप्त हुई और धकगड़ के माहेश्वरियो की वचनबद्धता उनकी पहचान बन गई तथा तभी से 32 खापो के माहेश्वरी धाकड़ महेश्वरी कहलाने लगे....
धकगड़ के माहेश्वरियो का भोजन शुध्य सात्विक था l तथा रहन सहन उत्तम था l उच्च कुल की मर्यादानुसार वैवाहिक सम्बन्ध निश्चित करने लगे l
कालांतर में आवागमन की सुविधा के आभाव में में मारवाड़ के डीडू माहेश्वरियो से इनका सम्बन्ध विच्छेद होता गया और धाकड़ माहेश्वरी कहलाने लगे...
अखिल भारतीय माहेश्वरी सभा के अनुसार माहेश्वरी अपने नाम के आगे महेश्वरी न लिखते हुए अपना गोत्र लिखने लगे l
समय व परिस्थिति के वशीभूत होकर धकगड़ के माहेश्वरियो को धकगड़ भी छोडना पड़ा और मध्य भारत में आष्टा के पास अवन्तिपुर बडोदिया ग्राम में विक्रम संवत 1200 के आस -पास आज से लगभग 810 वर्ष पूर्व , आकार बस गए l वह उनके द्वरा निर्मित भगवान शंकर का मंदिर जिसका निर्माण संवत 1262 में हुआ जो आज भी विद्यमान हे l एवं अतीत की यादो को ताज़ा करता हे l पुनः अन्य मध्य भारत के कई स्थानों पर जाकर व्यवसाय करने लगे l
आज के समय में धाकड़ माहेश्वरी मालवा , निमाड़ अर्थात खंडवा , इंदौर , सीहोर , भोपाल , उज्जैन , देवास , राजगड , साजापुर , रायपुर आदि जिलो में तथा अन्य स्थानों पर निवास कर रहे हे ..
माहेश्वरी कल्पद्रुम पुस्तक कहाँ से मिल सकती है। कृप्या address उपलब्ध करवाए।
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